केंद्र सरकार ने ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ को महारत्न कंपनी का दर्जा दिया है। सरकार के इस कदम के बाद अब देश में महारत्न कंपनी की संख्या 11 हो गई है। PFC बिजली के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तपोषण प्रदान करने वाली पावर फाइनेंस कंपनी है। पिछले तीन साल के बेहतरीन वित्तीय प्रदर्शन और कार्यप्रणाली कुशलता के चलते PFC को महारत्न बनाया गया है।
वित्तीय फैसले लेने की क्षमता बढ़ेगी
सरकार के इस फैसले से PFC बोर्ड की वित्त संबंधी फैसले लेने की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही महारत्न कंपनी का निदेशक मंडल वित्तीय संयुक्त उद्यम और इक्विटी निवेश संबंधी फैसलों के लिए स्वतंत्र होगा। महारत्न होने के बाद यह कंपनी भारत और विदेशों में विलय, अधिग्रहण संबंधी फैसलों पर नियमों के तहत निर्णय ले सकेगा। महारत्न का सम्मान मिलने के बाद PFC सरकार के एजेंडा के तहत 2030 तक 40 फीसदी हरित ऊर्जा की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता में योगदान देगा।
केंद्रीय बिजली एवं ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने PFC को बधाई दी। उन्होंने कहा कि “महारत्न का सम्मान यह बताता है कि सरकार को कंपनी की रणनीतिक भूमिका को लेकर पूरा भरोसा है।“ PFC के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक RS ढिल्लन ने कहा कि- “कंपनी का पिछले तीन साल में वित्तीय प्रदर्शन बेहतरीन रहा, इसलिए उसे महारत्न का दर्जा मिल सका। “
क्या होती है महारत्न कंपनियां ?
कंपनियों को महारत्न बनाने की कवायद 2009 से शुरू हुई थी | इसका उद्देश्य बड़े आकार के उपक्रमों के बोर्ड को अधिक अधिकार प्रदान करना है, जिससे उपक्रमों का संचालन घरेलू बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भी आसानी से हो सके | किसी भी नवरत्न कंपनी को महारत्न का दर्जा देने के लिए कुछ जरूरी आधार होते हैं।
• कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए |
• लगातार 3 वर्षों में कंपनी का औसत कारोबार 20 हजार करोड़ रुपए रहा हो |
• 3 वर्षों के दौरान कंपनी ने 25 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो |
• 3 वर्षों में कंपनी का निवल मूल्य औसतन 15 हजार करोड़ रहा हो |
• कंपनी के पास नवरत्न का दर्जा होना चाहिए |
• कंपनी का विदेश में भी कारोबार होना चाहिए |
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