कंतेली गांव, मुंगेली में दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता, लेकिन यह दिन खास परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

 दशहरे के दिन राजा यशवंत सिंह की सवारी पूरे गांव में निकाली जाती है। यह परंपरा 16वीं सदी से चली आ रही है, जब राजा प्रजा का हाल जानने के लिए गांवों में घूमते थे।

सवारी के बाद राजा कुल देवी के मंदिर पहुंचते हैं और मां महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की पूजा कर गांव की खुशहाली की कामना करते हैं।

इस खास परंपरा को देखने के लिए कंतेली और आसपास के 44 गांवों के लोग यहां इकट्ठा होते हैं और उत्सव का हिस्सा बनते हैं।

दशहरे के दिन कंतेली में बड़ा मेला लगता है, जहां गांववाले उत्साह के साथ इस खास दिन को मनाते हैं।

राजा दशहरे पर राजमहल में दरबार लगाते हैं, जहां गांव के लोग उनसे आशीर्वाद लेने आते हैं और सोन पत्ती भेंट करते हैं।

पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा गांव के लोगों के बीच एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो आज भी पूरे हर्षोल्लास के साथ निभाई जाती है।